June 26th, 2014
धूप कड़ी है सूख न जाना तुलसा जी
आँगन-आँगन को महकाना तुलसा जी
दीपक तो उपक्रम है मात्र निवेदन का
जब हम भटकें, राह दिखाना तुलसा जी
एक ही ख़ुश्बू-संगत के हैं सब बिरवे
मंदिर-मस्जिद को समझाना तुलसा जी
साधारण जल की बूँदों ने तुमसे ही
सीखा है अमृत हो जाना तुलसा जी
तुम जैसी ही शोहरत मुझको हासिल हो
घर-घर गूंजे मेरा तराना तुलसा जी