June 26th, 2014
कब निकला, कब डूबा चाँद
शहर में किसने देखा चाँद
जाने किस ग़म में तिल-तिल
रोज़ पिघलता रहता चाँद
सोच रहा हर इक मुफ़लिस
काश रुपैया होता चाँद
करवा-चौथ को होता है
सबका अपना-अपना चाँद
नभ-सरिता में तैर रहा
कश्ती बनकर आधा चाँद
June 26th, 2014
कब निकला, कब डूबा चाँद
शहर में किसने देखा चाँद
जाने किस ग़म में तिल-तिल
रोज़ पिघलता रहता चाँद
सोच रहा हर इक मुफ़लिस
काश रुपैया होता चाँद
करवा-चौथ को होता है
सबका अपना-अपना चाँद
नभ-सरिता में तैर रहा
कश्ती बनकर आधा चाँद
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