June 26th, 2014
हज़ार वलवले उट्ठेंगे हम जहाँ होंगे
सफ़र में ऐसे कई बार इम्तिहां होंगे
मेरी ज़बान पे ख़ंजर अछालने वाले
मेरे सफ़र से जो गुज़रे तो हमज़बां होंगे
ये जानते तो उजाला न माँगते हरगिज़
जलेंगे दीप जहाँ मोम के मकां होंगे
मेरी निगाह से देखो तो देख पाओगे
गगन के पार कई और आसमां होंगे
उतर के देख समुन्दर में थाह ले तो ज़रा
कि तुझसे ऊँचे हिमालय कई वहाँ होंगे
इन्हें न चूम ये तस्वीर हैं ख़ुदाओं की
पलट के देख ज़रा ख़ून के निशां होंगे