साहित्य, अदब की दुनिया में एक अनूठा शख्स — लक्ष्मण दुबे

June 25th, 2014

साहित्य, अदब की दुनिया में एक अनूठा शख्स था। जो प्रकृति के सजीव सहचरों यानि कि पेड़-पौधों से बतियाता था, उनकी भाषा समझता था, उनके दुख-दर्द बयान करता था, उसका नाम था -राजगोपाल सिंह।

 

लोग कहते हैं वो कवि था, मैं कहता हूँ- वो प्रकृति का सहचर था। पेड़-पौधों का अंतरंग मित्र था। सोचता हूँ, अब सूरजमुखी, तुलसी, नीम, पीपल, बरगद, बुरांस, घुघती के साथ कौन बातें करेगा। उनका दुख-दर्द कौन बँटाएगा, बताएगा!

 

राजगोपाल जी के जाने से इस इलाक़े में एक असह्य चुप्पी पसर गई है। और हाँ, बेटी के दर्द व दिल चीरने वाली बातें कौन गा-गाकर सुनाएगा?

 

-लक्ष्मण दुबे

This entry was posted on Wednesday, June 25th, 2014 at 6:17 pm and is filed under अपनों की नज़र में. You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0 feed. You can leave a response, or trackback from your own site.

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