June 26th, 2014
दुःखों से भागने पर, दुःख कभी भी कम नहीं होते
घर अपना त्यागने वाले सभी गौतम नहीं होते
रक़ीबों के करम से सर-बुलंदी हमने पाई है
हबीबों से घिरे रहते तो हम फिर हम नहीं होते
तेरे आँसू हैं आँखों में, लबों पर है हँसी तेरी
जो तू मुझमें नहीं होता, तो ये मौसम नहीं होते
सितारों की तरह सुधियों के दीपक झिलमिलाते हैं
जो दिन में छुप तो जाते हैं मगर मद्धम नहीं होते
चिराग़ों की तरह शब भर ये आँखें जगती रहती हैं
मगर तन की गुफ़ाओं के अँधेरे कम नहीं होते