June 26th, 2014
उनका मक़सद था
आवाज़ को दबाना
अग्नि को बुझाना
सुगंध को क़ैद करना
तुम्हारा मक़सद था
आवाज़ बुलन्द करना
अग्नि को हवा देना
सुगन्ध को विस्तार देना
वे क़ायर थे
उन्होंने तुम्हें असमय मारा
तुम्हारी राख को ठंडा होने से पहले ही
प्रवाहित कर दिया जल में
जल ने
अग्नि को और भड़का दिया
तुम्हारी आवाज़ शंखनाद में तब्दील हो गई
कोटि-कोटि जनता की प्राणवायु हो गए तुम