क्या है दिल में पता नहीं रहता

June 30th, 2014

क्या है दिल में पता नहीं रहता
कुछ भी रुख़ पर लिखा नहीं रहता

 

अपनी मिट्टी को छोड़ देता है
पेड़ जो भी, हरा नहीं रहता

 

उम्र भर शोहरतों का सूरज भी
हाथ बांधे खड़ा नहीं रहता

 

पर्वतों की रुकावटों से कभी
कोई दरिया रुका नहीं रहता

 

आदमी क्या बग़ैर पानी के
आईना आईना नहीं रहता

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