कौन सुनता है यहाँ चुप भी रहो

June 30th, 2014

कौन सुनता है यहाँ चुप भी रहो
काट डालेंगे ज़ुबां चुप भी रहो

 

रहनुमाओं की यहाँ पर भीड़ है
लूट लेंगे कारवां चुप भी रहो

 

इस शहर पर प्रेत मंडराने लगे
बंद कर दो खिड़कियाँ चुप भी रहो

 

हैं बहुत हैरान बच्चे आजकल
टोकती रहती है माँ चुप भी रहो

 

अब कहाँ हैं अहले-फ़न समझेंगे जो
शेर की बारीक़ियाँ, चुप भी रहो

 

मुख़बरी करने लगी है अब ‘समर’
आपकी अपनी ज़ुबां चुप भी रहो

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