June 26th, 2014
अमित शौर्य दे माँ, अभय दान दे माँ
लड़े जो अँधेरों से वो गान दे माँ
मेरे शब्द निष्प्राण दीपक हैं, इनमें
तू आलोक भर कर इन्हें प्राण दे माँ
कि रवि की तरह हर किरण के नयन से
चुनूँ रोज़ आँसू, ये वरदान दे माँ
मिले यश या अपयश, है इतना निवेदन
कि देना है जो भी, ससम्मान दे माँ
झुलसने लगें जिसमें संवेदनाएँ
न वो रौशनी दे, न वो ज्ञान दे माँ