संपर्क
June 30th, 2014
चिराग़ जैन (हिंदी संपादक)
chiragblog@gmail.com
+91 9868573612
अंकुर सिंह (तकनीक प्रबंधक)
imankur@gmail.com
+91 9717976565
June 30th, 2014
चिराग़ जैन (हिंदी संपादक)
chiragblog@gmail.com
+91 9868573612
अंकुर सिंह (तकनीक प्रबंधक)
imankur@gmail.com
+91 9717976565
June 26th, 2014
देश की माटी नहीं चंदन से कम
चंदन से कम
जन्म जितनी बार भी लूँ
लूँ इसी भू पर जनम
सच कहो हर रोज़ इक त्यौहार देखा है कहीं
स्वर्ग का वैभव तो इसके सामने कुछ भी नहीं
हर दिशा उच्चारती सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम्
देश की माटी नहीं चंदन से कम
चंदन से कम
पेड़, नदियाँ, पर्वतों तक की जहाँ हो आरती
शांति और सद्भावना की मूर्ति माँ भारती
सृष्टिकर्ता भी जहाँ पर जन्म लेते हैं स्वयम्
देश की माटी नहीं चंदन से कम
चंदन से कम
सप्तरंगी इन्द्रधनुषी सभ्यताओं से बंधे
शब्द हैं सबके अलग पर एक ही लय से बंधे
राम और रहमान मिलकर गाएँ वन्देमातरम्
देश की माटी नहीं चंदन से कम
चंदन से कम
June 26th, 2014
गुरु का दर्जा सबसे ऊँचा सारे हिन्दुस्तान में
दसों दिशाएँ बाँच रही हैं, मंत्र ये सबके कान में
गुरु ही हैं जो सदा उबारे, पग-पग अंधकार के भय से
बिन शिक्षा के हम हैं ऐसे, बिना सुगंध सुमन हों जैसे
यही सार उद्घोषित होता, सब धर्मों के ज्ञान में
कितना भी हो कठिन लक्ष्य, आसान बनाते गुरुवर
सबकी राहों में आशा के, दीप जलाते गुरुवर
गुरु चाहें तो प्राण फूँक दें, पल भर में पाषाण में
आशंका, भय, कठिनाई से जब भी हम डरते हैं
तब गुरु ही अंधियारे पथ पर, उजियारा करते हैं
गुरु परिवर्तन कर सकते हैं, विधि के लिखे विधान में
क ख ग घ, ए बी सी डी, रटने को देते हैं
और फिर जीवन के दर्शन का पाठ पढ़ा देते हैं
शिक्षक ही अवलंबन बनते, बालक के उत्थान में
निस्पृहता और निश्छलता ही, गुरुता की थाती है
गुरु के मन में स्वार्थ भावना, पनप कहाँ पाती है
गुरु कुछ भेद नहीं करते हैं, शिष्य और संतान में
June 26th, 2014
उनका मक़सद था
आवाज़ को दबाना
अग्नि को बुझाना
सुगंध को क़ैद करना
तुम्हारा मक़सद था
आवाज़ बुलन्द करना
अग्नि को हवा देना
सुगन्ध को विस्तार देना
वे क़ायर थे
उन्होंने तुम्हें असमय मारा
तुम्हारी राख को ठंडा होने से पहले ही
प्रवाहित कर दिया जल में
जल ने
अग्नि को और भड़का दिया
तुम्हारी आवाज़ शंखनाद में तब्दील हो गई
कोटि-कोटि जनता की प्राणवायु हो गए तुम