June 26th, 2014
है बला का उछाल पानी में
उठ रहे हैं ख़याल पानी में
जल भी सकते हैं, इतनी देर तलक
हाथ अपने न डाल पानी में
हम अहिंसक उसे कहें कैसे
जिसने फेंका है जाल पानी में
काग़ज़ी कश्तियों की शक्लों में
ख़्वाब अपने न डाल पानी में
देखते-सोचते ही फिर कोई
डूबने को है साल पानी में
उनको तुमसे बड़ी उम्मीदें हैं
तिर रहे जो सवाल पानी में