अपनी ही आग में सब जल जायेंगे यक़ीनन
June 26th, 2014
अपनी ही आग में सब जल जायेंगे यक़ीनन
जंगल के पेड़ हैं ये टकरायेंगे यक़ीनन
साज़िश में हैं जो शामिल, उन आईनों से कह दो
सूरज को क़ैद करके, पछताएंगे यक़ीनन
बिखरे तो आँधियों से गुल मुस्कुरा के बोले
इक रोज़ फिर से गुलशन महकाएंगे यक़ीनन