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अंजुरी में शबनम के मोती लिये हुए ये घास के फूल

June 26th, 2014

अंजुरी में शबनम के मोती लिये हुए ये घास के फूल
दूर से देखो तो दीपक से लगते हैं ये उजास के फूल

 

सुधियों की जब बर्फ़ पिघलती है इस मन के पर्वत से
आग लगा देते हैं सूनी घाटी में ये बुरांस के फूल

 

जब भी तेरी-मेरी साँसें एक रँग, इक वर्ण हुईं
और भी सुन्दर और भी मोहक लगे मुझे ये कपास के फूल

 

नफ़रत की ये गर्म हवाएँ जब भी चली हैं आंगन में
झुलस गये हैं बिरवे सारे, बिखर गये एहसास के फूल

 

तेरी ही अनुकम्पा का फल, तेरा ही वरदान है ये
मेरे गीत और मेरी ग़ज़लें, सभी तेरी अरदास के फूल