रात दिन जो भोगते हैं
June 30th, 2014
रात दिन जो भोगते हैं
हम वही तो लिख रहे हैं
नाम पर उपलब्धियों के
ऑंकड़े ही ऑंकड़े हैं
इक अदद कुर्सी की ख़ातिर
घर, शहर, दफ्तर जले हैं
ये भी बच्चे हैं मगर ये
क्यों खिलौने बेचते हैं
June 30th, 2014
रात दिन जो भोगते हैं
हम वही तो लिख रहे हैं
नाम पर उपलब्धियों के
ऑंकड़े ही ऑंकड़े हैं
इक अदद कुर्सी की ख़ातिर
घर, शहर, दफ्तर जले हैं
ये भी बच्चे हैं मगर ये
क्यों खिलौने बेचते हैं