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एक हरा अहसास जिया

June 26th, 2014

एक हरा अहसास जिया
मैं पेड़ों के पास जिया

 

यूँ उसका विश्वास जिया
जैसे इक संत्रास जिया

 

वो भी तो इक सागर था
एक मुक़म्मल प्यास जिया

 

अधरों पर मुस्कान रही
आँखों ने चौमास जिया

 

सीता सँग तो राम रहे
उर्मिल ने बनवास जिया