Posts Tagged ‘Creation’

शक़्ल से बिल्कुल हमारी ही तरह दिखता था वो

June 26th, 2014

शक़्ल से बिल्कुल हमारी ही तरह दिखता था वो
पर बला की आग सीने में लिये फिरता था वो

 

दिन की अंधी गहमागहमी से मिला करता था जो
रात के उजले पहर में बैठ कर लिखता था वो

 

आँसुओं से थी लबालब ज़िंदगी उसकी मगर
जब भी हँसता था, ठहाके मार कर हँसता था वो

 

गीत-सी फ़ितरत थी उसकी, थी ग़ज़ल जैसी अदा
गीत और ग़ज़लों के शायद बीच का रिश्ता था वो

 

(महाप्राण निराला की स्मृति में)

चाँदनी रातों में अक्सर बोलते हैं

June 26th, 2014

चाँदनी रातों में अक्सर बोलते हैं
ख़ुशनुमा ख़ामोश मंज़र बोलते हैं

 

बोलते हैं, जब भी रहबर बोलते हैं
फूल से लहजे में पत्थर बोलते हैं

 

मैं बहुत ख़ामोश होता हूँ तो मुझसे
घर के सन्नाटे लिपटकर बोलते हैं

 

जब ज़बां पर कैंचियाँ लटकी हुई हों
धार पा जाते हैं अक्षर, बोलते हैं

 

पत्थरों में प्राण भरते हैं जो अक्सर
ऐसे लोगों को ‘सुख़नवर’ बोलते हैं