खूब चर्चा है आज काँटों में
June 26th, 2014
खूब चर्चा है आज काँटों में
तितलियाँ हैं गुलों की बाँहों में
फूल सबको सुगन्ध देते थे
कल पढ़ेंगे ये हम किताबों में
कोई झोंका इन्हें भिड़ाता है
तब भड़कती है आग बाँसों में
दिल जलाया तो रौशनी सी हुई
रौशनी थी कहाँ चिराग़ों में
निर्झरों को सुक़ून मिलता है
इक पहाड़ी नदी की बाँहों में