June 26th, 2014
केवल दो अक्षर का अपना
इक छोटे से घर का सपना
नीले अधरों पर अंकित है
हेमन्ती पतझड़ का सपना
देह दुल्हन की ससुराल में
आँखों में पीहर का सपना
भोर सिन्दूरी साँझ सुरमई
जैसे जादूगर का सपना
एक बूंद जीवन चातक को
क्यों देखे सागर का सपना
Tags: Bride, Dream, kewal do akshar ka apna, Nature, Philosophy, Poetry, Romance, Satisfaction
Posted in ग़ज़ल, ज़र्द पत्तों का सफ़र | No Comments »
June 26th, 2014
कुछ तो अपने और मेरे दरमियाँ रहने भी दे
दूरियाँ चुभती हैं फिर भी दूरियाँ रहने भी दे
ख़्वाब है तो टूट भी जाएगा थोड़ी देर में
तू मेरी पलकों पे अपनी उँगलियाँ रहने भी दे
मैं मुक़म्मल हो गया तो देवता बन जाऊँगा
मुझमें हैं जो ख़मियाँ वो ख़मियाँ रहने भी दे
इनसे मत उम्मीद रख ये रोशनी देंगे तुझे
झील में तारों की हैं परछाइयाँ रहने भी दे
फेंक मत इनको कि जब अपनों से मन भर जाएगा
हौसला देंगी तुझे ये चिट्ठियाँ रहने भी दे
Tags: Dream, Expectation, Memories, Poetry, Romance
Posted in ख़ुशबुओं की यात्रा, ग़ज़ल, चौमास | No Comments »