Posts Tagged ‘Struggle’

ज़िन्दगी के साथ जो रहती हैं सारी उलझनें

June 30th, 2014

ज़िन्दगी के साथ जो रहती हैं सारी उलझनें
कुछ अजानी और कुछ हैं नामधारी उलझनें

 

जितना सुलझाते गए, उतनी उलझती ही गईं
आदमी थक-हार बैठा पर न हारी उलझनें

 

अपनी-अपनी उलझनों में लोग हैं उलझे हुए
है किसे फ़ुर्सत जो सुलझाए तुम्हार उलझनें

 

घर तपोवन थे ये दुनिया स्वर्ग का प्रतिरूप थी
मिल के सुलझाते थे सब जब बारी-बारी उलझनें

 

प्यार की इससे बड़ी पहचान क्या होगी भला
आपको अपनी लगे हैं सब हमारी उलझनें

 

कितने पागल हैं जो डाले घूमते हैं गर्दनों में
शक्ल में फूलों की हम सब भारी-भारी उलझनें

आँसुओं को छुपाना होता है

June 26th, 2014

आँसुओं को छुपाना होता है
जब कभी मुस्कुराना होता है

 

हर नये ग़म को ये हिदायत है
मेरे घर हो के जाना होता है

 

साफ़ रह्ने के वास्ते मन को
आँसुओं से नहाना होता है

 

ख़ुद-ब-ख़ुद ज़ख़्म हँसने लगते हैं
जब भी मौसम सुहाना होता है

 

रात जागे है क्योंकि रोज़ इसे
एक सूरज उगाना होता है

जलदीप

June 26th, 2014

देखना है-
कब तलक जलदीप
लहरों से लड़ेगा

 

कँपकँपाती उंगलियों को चूमकर
वेग से ये चल चल दिया लो झूमकर
चाँद-सा
भागीरथी के माथ पर
झिलमिल तिरेगा

 

है अमावस की निशा, तम है घना
जलगगन दमका रही है वर्तिका
देखकर
इसका सलोना रूप
जल, जल-जल मरेगा

 

है भँवर बेताब जाने कब डुबा दे
कौन सा झोंका हवाओं का बुझा दे
निज जनों का
इस क़दर प्रतिरोध
यह कब तक सहेगा

 

 

Listen Audio of Jaldeep

[ca_audio url_mp3=”http://rajgopalsingh.com/audio/Jaldeep.mp3″ url_ogg=”OGGURL” css_class=”codeart-google-mp3-player” autoplay=”false” download=”true” html5=”true”]

सूरजमुखी

June 26th, 2014

बाग़ के वातावरण से बेख़बर सूरजमुखी
जिस तरफ़ सूरज चले देखे उधर सूरजमुखी

 

भोर की पहली किरण कुछ कह गई है कान में
लाज के मारे हुई है गुलमुहर सूरजमुखी

 

ओस के क़तरे हैं मानो मांग में मोती सजे
लग रही है ख़ूबसूरत किस क़दर सूरजमुखी

 

देह सारी आँसुओं से भीगकर तर हो गई
याद में रोई है किसकी रात भर सूरजमुखी

 

प्रीत सूरज से मगर अर्पित हुई पाषाण पर
हो गई काग़ज़ सरीखी सूखकर सूरजमुखी